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Kabir Ke Dohe - संत कबीर दास के दोहे अर्थ सहित

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Kabir Ke Dohe : अगर हम दोहे की बात करे तो सबसे कबीर के दोहे ही याद आते है. उनका साहित्य में बहुत योगदान है जिसको हम कभी नहीं भूल सकते. उनकी रचनाएँ, दोहे और भजन बहुत प्रसिद्ध हैं . इसमें आपको संत कबीर दास के सर्वश्रेष्ठ दोहे - Kabir Ke Dohe शेयर कर रहे है. जिसे आप जरुर पढ़े. Sant Kabir Ke Dohe संत कबीर के दोहे हिंदी अर्थ सहित – Kabir Ke Dohe in Hindi with meaning जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ, मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ। कहैं कबीर देय तू, जब लग तेरी देह। देह खेह होय जायगी, कौन कहेगा देह। देह खेह होय जायगी, कौन कहेगा देह। निश्चय कर उपकार ही, जीवन का फन येह। या दुनिया दो रोज की, मत कर यासो हेत। गुरु चरनन चित लाइये, जो पुराण सुख हेत। ऐसी बनी बोलिये, मन का आपा खोय। औरन को शीतल करै, आपौ शीतल होय। गाँठी होय सो हाथ कर, हाथ होय सो देह। आगे हाट न बानिया, लेना होय सो लेह। धर्म किये धन ना घटे, नदी न घट्ट नीर। अपनी आखों देखिले, यों कथि कहहिं कबीर। कहते को कही जान दे, गुरु की सीख तू लेय। साकट जन औश्वान को, फेरि जवाब न देय। कबीर तहाँ न जाइये, जहाँ जो